नैनो यूरीया के बाद इफको जल्द हि नया नैनो डीएपी (Nano DAP) बाजार मे लाने वाली है नैनो यूरिया (तरल) की तरह नैनो डीएपी (nano dap) बनाने पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया गया है, इफको (IFFCO) के अनुसार, नया नैनो डीएपी (Nano DAP) नैनो यूरीया कि तरह ही बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ फसलों के उत्पादन में वृद्धि करेगा और फसल मे पौषक तत्वो कि पुर्ति भी करेगा जिससे किसानो कि लागत मे कमी आयेगी सांथ हि नैनो यूरिया और नैनो डएपी के उपयोग से किसानों के साथ- साथ पर्यावरण को भी काफी लाभ पहुंचेगा, इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू एस अवस्थी (Dr. u s awasthi) के अनुसार, कंपनी आगामी खरीफ सीजन से पहले लिए नैनो-डीएपी मार्केट में पेश कर सकती है, क्योंकि इसे अगले महीने सरकार से मंजूरी मिलने की उम्मीद है
क्या रहेगी Nano dap की किमत
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू एस अवस्थी जी ने बताया कि कंपनी ने नैनो डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) विकसित किया है और इस उत्पाद को बाजार में पेश करने के लिए सरकार की मंजूरी के लिए पहले ही आवेदन कर चुकी है. उन्होंने घोषणा की कि नैनो-डीएपी की 500 एमएल की बोतल 600 रुपये में बेची जाएगी. एक बोतल डीएपी के एक बैग के बराबर होगी, जिसकी कीमत 1,350 रुपये है. डॉ. अवस्थी ने आयोजन के मौके पर कहा कि सहकारी समिति को अगले महीने के अंत तक सरकार की मंजूरी मिलने की उम्मीद है.
इफको नैनो-पोटाश, नैनो-जिंक और नैनो-कॉपर भी होंगे लॉन्च
नैनो यूरिया विकसित करने के बाद अब खेती-किसानी के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए वैज्ञानिक नैनो डीएपी (Nano DAP), नैनो जिंक (nano zinc) और नैनो कॉपर (nano copper) पर भी तेजी से काम कर रहे हैं. गुजरात के कलोल स्थित नैनो बायोटेक्नालॉजी रिसर्स सेंटर (NBRC) में इस पर काम चल रहा है. डॉ. यू एस अवस्थी ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस द्वारा आयोजित एक कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इफको के नैनो-पोटाश, नैनो-जिंक और नैनो-कॉपर उर्वरक भी जल्द लॉन्च करने की योजना बना रहै है,
देश मे बनाए जा रहे हैं प्लांट
नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और नैनो सूक्ष्म पोषक तत्वों के उत्पादन के लिए आंवला, फूलपुर, कलोल (विस्तार), बैंगलुरु, पारादीप, कांडला, देवघर और गुवाहाटी आदि जगहो में प्रोडक्शन प्लांट बनाने का काम चल रहा है. इनमें उत्पादन शुरू होने के बाद डीएपी की किल्लत नहीं होगी. पिछले रबी सीजन में किसानों ने डीएपी की भारी किल्लत झेली है. देश में 313000 टन डीएपी की खपत है. कृषि क्षेत्र के जानकारों को उम्मीद है कि नैनो यूरिया की तरह ही डीएपी को भी किसान अपना लेंगे. इसे आने के बाद किसानों को दोनों प्रमुख खादों यूरिया और डीएपी का फसलों पर स्प्रे करना पड़ेगा.
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